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पहाड़ों में वंदे भारत की दस्तक: कटरा-रियासी रूट पर जल्द यात्रा

कटड़ा: जम्मू-कश्मीर में रेल संपर्क को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, रेलवे बोर्ड जल्द ही कटरा-रियासी रेलखंड पर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चलाने की तैयारी कर रहा है। इस रूट के लिए विशेष रूप से डिजाइन की गई वंदे भारत ट्रेन जल्द ही यात्रियों को आकर्षित करेगी।

मुख्य रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने मंगलवार को कटड़ा से रियासी तक के 16.5 किलोमीटर लंबे ट्रैक का निरीक्षण किया। उन्होंने ट्रॉली से चलकर ट्रैक का जायजा लिया। बुधवार को सीआरएस विशेष ट्रेन से कटड़ा से बनिहाल तक का निरीक्षण करेंगे। उल्लेखनीय है कि बनिहाल से कश्मीर के बारामुला के बीच वंदे भारत ट्रेन पहले से ही सफलतापूर्वक संचालित हो रही है।

कटड़ा-रियासी खंड, महत्वाकांक्षी उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना का अंतिम चरण है। इस परियोजना में सबसे चुनौतीपूर्ण माने जाने वाले 3.2 किलोमीटर लंबे टी-1 सुरंग का निर्माण पूरा होने से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई है। इस सुरंग के निर्माण में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण परियोजना में देरी हुई थी। हालांकि, अब दिसंबर में इस सुरंग का निर्माण पूरा हो गया है।

माता वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए इस मार्ग पर वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत से यात्रा अधिक सुगम और आरामदायक हो जाएगी। इस ट्रेन से यात्रा का समय कम होगा और यात्री आरामदायक यात्रा का आनंद ले सकेंगे।

हिमालयी परिस्थितियों के लिए खास

इस अत्याधुनिक ट्रेन में अत्यधिक ठंडे मौसम में भी निर्बाध संचालन सुनिश्चित करने के लिए कई नवीन तकनीकी विशेषताएं शामिल हैं। इस ट्रेन में एक उन्नत हीटिंग सिस्टम शामिल किया गया है, जो शून्य डिग्री सेल्सियस के करीब तापमान में भी ट्रेन के संचालन को सुनिश्चित करता है। इसके अलावा, एयर-ब्रेक सिस्टम को भी इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह शून्य डिग्री सेल्सियस के आसपास के तापमान में भी प्रभावी ढंग से कार्य करे। इसके अतिरिक्त, ट्रेन की विंडशील्ड में हीटिंग तत्वों को भी शामिल किया गया है, जिससे ड्राइवर की दृष्टि में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होगी।

यह विशेष वंदे भारत एक्सप्रेस भारतीय रेलवे की तकनीकी प्रगति और यात्रियों की सुविधा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां जलवायुगत चुनौतियां अधिक हैं।

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